इंतज़ार में जिनके हम बैठे थे ,
उसकी आहात भी सुनाई न दी .
खयालो में वो जो एक चेहरा था ,
उसकी झलक भी दिखाई न दी .
थी जिसकी में आशीक वो तो बेवफा निकला ,
बिछड़े हम ऐसे की ,
गिरते हुए आँसों की आवाज़ भी सुनाई न दी ......
उसकी आहात भी सुनाई न दी .
खयालो में वो जो एक चेहरा था ,
उसकी झलक भी दिखाई न दी .
थी जिसकी में आशीक वो तो बेवफा निकला ,
बिछड़े हम ऐसे की ,
गिरते हुए आँसों की आवाज़ भी सुनाई न दी ......
66 comments:
एक अच्छी अभिव्यक्ति है.
ਮਨਪ੍ਰੀਤ ਬਿਟਿਯਾ, ਮੈੰ ਸਮਝਦਾ ਹਾਂ ਕਿ ਤੁਸੀੰ ਪੰਜਾਬੀ ਜ਼ਰੂਰ ਪਡ ਲੈੰਦੇ ਹੋਵੋਗੇ. ਜੋ ਤੁਸੀਂ ਹਿੰਦੀ ਵਿੱਚ ਲਿਖਿਆ ਹੈ ਉਹੀ ਪੰਜਾਬੀ ਚ ਲਿਖੋਗੇ ਤਾੰ ਉਸਦੀ ਰੰਗਤ ਕੁੱਝ ਹੋਰ ਹੋਵੇਗੀ.
ਤੁਸੀੰ ਬਹੁਤ ਚੰਗ ਲਿਖਿਆ ਹੈ. ਵਧਾਇਯਾੰ ਅਤੇ ਸ਼ੁਭਕਾਮਨਾਵਾੰ. ਆਪਜੀ ਦੇ ਇਸ ਬਲਾਗ ਦਾ ਮੈੰ ਫਾਲੋਅਰ ਬਣ ਰਿਹਾ ਹਾੰ.
ਮੇਰਿਯਾੰ ਸਪੈਲਿੰਗ ਮਿਸਟੇਕਾੰ ਮਾਫ.
आप हिंदी में लिखना नहीं छोड़ना. पहले जो कहा है वह आत्म अभिव्यक्ति को मातृभाषा में कहने की दृष्टि से कहा है.
आपको धन्यवाद.
बिछड़े हम ऐसे कि गिरते हुए साँसों की आवाज़ भी सुनाई न दी ...सुन्दर अभिव्यक्ति ...
इंतज़ार पे कुछ शैर आपके लिए -
अंदाज़ हु -बा -हु तेरी आवाज़े पा का था
बाहर निकलके देखा तो झोंका हवा का था ।
यहाँ "पा "का अर्थ पैर है और आवाज़े पा मानी है पैर की आवाज़ ,चलने की आहट पदचाप ।
प्रतीक्षा में युग बीत गए सन्देश न कोई मिल पाया ,
सच बतलाऊं तुम्हें प्राण इस जीने से मरना भाया ।
एक शैर और भी इंतज़ार पर आपकी नजर -
न कोई वक्त ,न कोई उम्मीद ,न कोई वायदा ,
खड़े थे रहगुज़र पे करना था तेरा इंतज़ार .यहाँ रहगुज़र रास्ता है .
bhut hi bhaavpur panktiya...
Bahuthi sunder rachana hai
अपनी भावनाओं को शब्दों में पिरोने का बेहतरीन प्रयास.
बहुत सुन्दर भावाभिव्यक्ति| धन्यवाद|
बहुत सुन्दर प्रेम विरह रचना ।
थोड़ा कोशिश कीजिये , हिंदी में सुधार लाने की ।
गिरते हुए आंसू की आवाज़ भी सुनाई न दी .......
सुन्दर भावाभिव्यक्ति .
मनप्रीत जी सुन्दर भावों का संयोजन किया है आपने.
यदि 'आहात' की जगह 'आहट' हो और'आसों' की जगह 'आसूं' हो तो कैसा रहें ?
बिछुडने से 'आहत' हो जाता है मन.
सुन्दर अभिव्यक्ति.
भावपूर्ण प्रस्तुति के लिए आभार.
खयालो में वो जो एक चेहरा था ,
उसकी झलक भी दिखाई न दी .
वाह! बहुत खूब लिखा है आपने! शानदार प्रस्तुती!
इंतजार शीर्षक से आपकी रचना पढी। इसके अलावा 'जी चाहता है' और 'क्यों दूर होकर भी ' कविताऐं पढी । वर्तमान रचना का तो शीर्षक ही इन्तजार है क्यों दूर होकर में " इन्तजार रहता है" तीनो रचनायें श्रेष्ठ । अब एक निवेदन
उठे-
उठकर चले -
चल कर रुके -
रुक कर कहा होगा-
हमीं क्यों जायें बहुत है उनकी हालत देखने वाले
इंतज़ार में जिनके हम बैठे थे ,
उसकी आहट भी सुनाई न दी .
खयालो में वो जो एक चेहरा था ,
उसकी झलक भी दिखाई न दी .
थी जिसकी में आशिक वो तो बेवफा निकला ,
बिछड़े हम ऐसे की ,
गिरते हुए आसुओं की आवाज़ भी सुनाई न दी ......
...rachna sunder hai..
good wishes...
good day
इंतज़ार की घडी ही ऐसी होती है !बहुत सुन्दर
आपने लिखा सुन्दर है.वैसे इंतज़ार का भी अलग मज़ा है.
Bahut khoobsurat sher kahe hain. wartani me thoda sudhar chahiye to sone parr suhaga hoga.
खयालो में वो जो एक चेहरा था ,
उसकी झलक भी दिखाई न दी .
बहुत सुन्दर
बहुत सुंदर रचना. पहली बार आपके ब्लाग पर आया हूं। अच्छा लगा
बहुत सुन्दर प्रयास...
बहुत सुंदर रचना.....
सचमुच बहुत जालिम होताहै इंतजार।
---------
कौमार्य के प्रमाण पत्र की ज़रूरत?
ब्लॉग समीक्षा का 17वाँ एपीसोड।
http://shayaridays.blogspot.com
Udaasiyon ko apne aawaz di hai...
khamoshiyon ko parwaaz di hai..
bahut muskate mile the tum to kal!
fir kyun khabar 'Tabiyat naasaz'di hai?
Bahut khoobbbbbbbbbbbbbbbbbbbbbbb
खयालो में वो जो एक चेहरा था ,
उसकी झलक भी दिखाई न दी
sunder abhivyakti
rachana
बहुत ही बढ़िया,
विवेक जैन vivj2000.blogspot.com
कोमल भावों की मनमोहक अभिव्यक्ति ...
कुछ शब्दों को सुधारने की जरूरत है ...शायद टाइपिंग में गड़बड़ हो गयी हो
ਵਧਾਇਯਾੰ ਅਤੇ ਸ਼ੁਭਕਾਮਨਾਵਾੰ
बहुत सुन्दर
ਵਧਾਇਯਾੰ ਅਤੇ ਸ਼ੁਭਕਾਮਨਾਵਾੰ
हिंदी में लिखना नहीं छोड़ना
प्रयास अच्छा है,सुधार की भरपूर गुंजाइश !
पहली पर् आया आपके इस ब्लॉग पर् यहाँ कुछ अच्छा !अच्छी अभिव्यक्ति है !पर् आप लोग मेरे ब्लॉग पर् भी आये !मेरा पर् आने
के लिए यहाँ क्लिक करे -"samrat bundelkhand"
वाह!
विवेक जैन vivj2000.blogspot.com
बहुत ाच्छे भाव हैं। शुभकामनायें।
आप तो बहुत सुन्दर लिखती हैं..बधाई.
___________________
'पाखी की दुनिया ' में आपका स्वागत है !!
अति सुंदर, धन्यवाद, शुभमानाएं
बहुत खूब !
मेरी नयी पोस्ट पर आपका स्वागत है : Blind Devotion - स्त्री अज्ञानी ?
सुन्दर अभिव्यक्ति, थोडा सा वर्तनी पर भी ध्यान देने का आग्रह करूँगा.
बहुत सुन्दर भावपूर्ण रचना...
इंतज़ार में जिनके हम बैठे थे ,
उसकी आहट भी सुनाई न दी .
ख्यालों में वो जो एक चेहरा था ,
उसकी झलक भी दिखाई न दी .
थी जिसकी मैं आशिक
वो तो बेवफा निकला ,
बिछड़े हम ऐसे कि ,
गिरते हुए आँसों की आवाज़ भी सुनाई न दी ......
नाज़ुक एहसास ,सुन्दर अभिव्यक्ति.
Wah Wah!
Beautifully Written !
अछि कोशिश मनप्रीत जी
थोडा ऐसे सुधार कर लें --- आहात - आहट, में आशीक- मैं आशिक, की - कि, आँसों - आंसुओं -
सादर
श्यामल सुमन
09955373288
मुश्किलों से भागने की अपनी फितरत है नहीं।
कोशिशें गर दिल से हो तो जल उठेगी खुद शमां।।
www.manoramsuman.blogspot.com
बढ़िया अभिव्यक्ति...
wah wah
अच्छा लिखती हैं। सुन्दर अभिव्यक्ति, कोशिश ही पत्थर से हीरा बनाती है। हमारी ओर से बधाई स्वीकार करें
शुभकामनाएं तथा शुभ आशीष
सुन्दर रचना.भावपूर्ण.
मेरा बिना पानी पिए आज का उपवास है आप भी जाने क्यों मैंने यह व्रत किया है.
दिल्ली पुलिस का कोई खाकी वर्दी वाला मेरे मृतक शरीर को न छूने की कोशिश भी न करें. मैं नहीं मानता कि-तुम मेरे मृतक शरीर को छूने के भी लायक हो.आप भी उपरोक्त पत्र पढ़कर जाने की क्यों नहीं हैं पुलिस के अधिकारी मेरे मृतक शरीर को छूने के लायक?
मैं आपसे पत्र के माध्यम से वादा करता हूँ की अगर न्याय प्रक्रिया मेरा साथ देती है तब कम से कम 551लाख रूपये का राजस्व का सरकार को फायदा करवा सकता हूँ. मुझे किसी प्रकार का कोई ईनाम भी नहीं चाहिए.ऐसा ही एक पत्र दिल्ली के उच्च न्यायालय में लिखकर भेजा है. ज्यादा पढ़ने के लिए किल्क करके पढ़ें. मैं खाली हाथ आया और खाली हाथ लौट जाऊँगा.
मैंने अपनी पत्नी व उसके परिजनों के साथ ही दिल्ली पुलिस और न्याय व्यवस्था के अत्याचारों के विरोध में 20 मई 2011 से अन्न का त्याग किया हुआ है और 20 जून 2011 से केवल जल पीकर 28 जुलाई तक जैन धर्म की तपस्या करूँगा.जिसके कारण मोबाईल और लैंडलाइन फोन भी बंद रहेंगे. 23 जून से मौन व्रत भी शुरू होगा. आप दुआ करें कि-मेरी तपस्या पूरी हो
bahut sunder.............
मनप्रीत कौर जी बहुत बहुत बधाई और शुभकामनाएं |
एक तरफ आप कह रही हैं कि उसकी आहट तक नहीं सुनाई दी है,दूसरी ओर उससे बिछड़ने कि बात भी कर रही हैं.इस बात का ख्याल रखें कि दो तरह के भाव एक साथ न जाएँ और थोडा टाइपिंग में भी सुधार करें !
शुभकामनाओं के साथ !
ਕਿਤ੍ਥੇ ਗਏ |
anupam
इंतज़ार में जिनके हम बैठे थे ,
उसकी आहात भी सुनाई न दी .
खयालो में वो जो एक चेहरा था ,
उसकी झलक भी दिखाई न दी .
थी जिसकी में आशीक वो तो बेवफा निकला ,
बिछड़े हम ऐसे की ,
गिरते हुए आँसों की आवाज़ भी सुनाई न दी .
वाह! क्या बढ़िया लिखा है ! इतना सुन्दर और सार्थक लिखने के लिए आभार !
Manpreet Kaur जी मेरे ब्लॉग पर आने के लिए भी आपका शुक्रिया!
Very nicely written. Loved it.
सुन्दर अभिव्यक्ति !
आभार !
मनप्रीत जी अभिवादन -प्रेम रस छलक गया सुन्दर ..
लेकिन आइये थोडा इन पंक्तियों को ऐसे सुधार दो कृपया
इंतज़ार में जिनके हम बैठे थे ,
उसकी आहट भी सुनाई न दी !
खयालो में वो जो एक चेहरा था ,
उसकी झलक भी दिखाई न दी !
थी जिसकी मै आशिक वो तो बेवफा निकला ,
बिछड़े हम ऐसे कि ,
गिरते हुए आंसू की आवाज़ भी सुनाई न दी ......
शुक्ल भ्रमर ५
भ्रमर का दर्द और दर्पण
बाल झरोखा सत्यम की दुनिया में भी आयें और बच्चों को थोडा प्यार दें
rachna acchi hai par hindi me aap sudhaar ki gunjaaish hai
jaise aahat bhi sunaai naa di
उसकी आहात भी सुनाई न दी
sundar prastuti
मार्मिक प्रस्तुति
very nice....
बहुत खूबसूरत प्रस्तुति , सुन्दर भावाभिव्यक्ति , आभार
कृपया मेरे ब्लॉग पर भी पधारें
bhavpurna abhivyakti
BAHUT BADHIYA PRASTUTI... I M NOW FOLLOWING U..
आप सब को विजयदशमी पर्व शुभ एवं मंगलमय हो।
bahut hi umda likha aap ne bdhai....
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